अपने गुरु से आत्मज्ञान के माध्यम से चैतन्य ग्रहण करना

अपने गुरु से आत्मज्ञान के माध्यम से चैतन्य ग्रहण करना और उसी चैतन्य को बाँटना, यही आत्मा की उत्तक्रांति है। इसके अलावा उसका कोई कार्य है ही नहीं। समान रूप से लेना और समान रूप से बाटना, बस यही एक कार्य माध्यम के रूप में करो , तो ही मोक्ष प्राप्ति सम्भव है। *_

HSY 2 pg 185

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