परमात्मा का अस्तित्व सर्वत्र विद्यमान है ,
परमात्मा का अस्तित्व सर्वत्र विद्यमान है , पर अगर ब्रह्मांड में फैले हुए परमात्मा का अनुभव करना है तो पहले अपने भीतर सुप्त अवस्था में रह रहे परमात्मा के अस्तित्व तक पहुँचना होगा । उसे जानना होगा । उस तक पहुँचना सब से आसान है । इसलिए आसान है क्योंकि परमात्मा का वह स्वरूप सब से पास में होता है । उसे जाने बिना बाहर के परमात्मा को हम कभी भी नही जान सकते है । भीतर का परमात्मा जाने बिना बाहर खोजते रहोगे तो जन्मो जन्मो तक वह नही मिलेगा । एक बार भीतर की परमात्मा की अनुभूति हो जाने के बाद बाहर भी परमात्मा की अनुभूति होना शुरू हो जाएगी । समर्पण ध्यान में भीतर जाया जाता है और भीतर ही परमात्मा की अनुभूति पाई जाती है और उस अनुभूति से बाहर अनुभव हो जाता है । फिर बाहर खोजणा नही पड़ता है । और फिर अनुभव होता है -- परमात्मा सर्वत्र है । न उसका आदि है और न अंत है । वह स्वयंभू है ।
परम पूज्य स्वामीजी
[ आध्यात्मिक सत्य ]
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