प्रत्येक मनुष्य जब जन्म लेता है, तभी ही उसकी गाडी की पटरी निश्चित हो जाती है

प्रत्येक मनुष्य जब जन्म लेता है, तभी ही उसकी गाडी की पटरी निश्चित हो जाती है और वह उसी पटरी पर चला तो ही उसकी गाडी आगे बढ सकती है और नहीं चला, तो नहीं बढेगी। और अगर हम गलत डिब्बे में बैठे हैं, तो अपने टिकट का पैसा वसूल करने के लिए पूरे मार्ग का सफर कर, गलत मार्ग पर चलकर गलत स्थान पर पहुँचने से अच्छा है- आज ही यह गाडी बदल लो। अपनी गलती स्वीकार करो कि गलत गाडी पकडी थी और उतरो और सही गाडी पकडो और आगे बढो। हि. स. यो. २/ ११५

Comments

Popular posts from this blog

Subtle Body (Sukshma Sharir) of Sadguru Shree Shivkrupanand Swami

सहस्त्रार पर कुण्डलिनी