मुनि श्री रत्नाकरसागरजी
९ वें गहन ध्यान अनुष्ठान के ४५ दिनों के दौरान मै आश्रम के निवास - स्थान में बैठकर श्री ऋशभ देव प्रभु का जीवन चरित्र लिख रहा था । जब उनको मोक्ष की स्थिति प्राप्त होने की घटना लिख रहा था , उस समय करीब ५ मिनट तक गुलाब की खुशबू फैल गई और मुझे बड़ी प्रसन्नता हुई । एक सप्ताह के बाद दोपहर के समय जब मै पूज्य स्वामीजी का साहित्य पढ़ रहा था उस समय दो बार सुगंधी फूलों की महक फैल गई । उस दिन मेरा जन्म दिवस था और मुझे ऐसा प्रतीत हुआ जैसे पूज्य गुरुदेव मुझे मेरे जन्म दिन की बधाई दे रहे है । मुझे बेहद खुशी हुई ।..
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मुनि श्री रत्नाकरसागरजी
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