परमात्मा अविनाशी है ।
परमात्मा अविनाशी है । परमात्मा कल भी था , परमात्मा आज भी है और परमात्मा कल भी रहेगा । यानी परमात्मा कोई शरीर नही हो सकता ।
हम सोचते है की परमात्मा कहीँ बैठा हुआ है और वह देख रहा है इस सृष्टि को की मैने कैसी सृष्टि बनाई है , वो कैसी चल रही है , कैसी क्रियान्वित है । तो ऐसे परमात्मा का अस्तित्व विश्व में कहीँ नही है । ये हमारी सिर्फ कल्पना है । कल्पना में ही हम विचार करते है की ऐसा परमेश्वर कहीँ बैठकर हमे देख रहा है ।
वास्तव में परमात्मा एक विश्वचेतणा है जो पूरे विश्व के कण -कण में विद्यमान है । इस विश्व को संचालित करने वाली शक्ति परमात्मा है ! एक कली को फूल बनाने वाली शक्ति परमात्मा है ! एक बीज को अंकुरित करने वाली शक्ति परमात्मा है ।
प्रत्तेक मनुष्य के भीतर भी परमात्मा का छोटा सा अंश आत्मा के रूप में है । जब वह जागृत हो जाता है , वह सब से करीब का परमात्मा लगता है ।
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मधूचैतन्य ....
मा .अप .[ २०१७ ]
वास्तव में परमात्मा एक विश्वचेतणा है जो पूरे विश्व के कण -कण में विद्यमान है । इस विश्व को संचालित करने वाली शक्ति परमात्मा है ! एक कली को फूल बनाने वाली शक्ति परमात्मा है ! एक बीज को अंकुरित करने वाली शक्ति परमात्मा है ।
प्रत्तेक मनुष्य के भीतर भी परमात्मा का छोटा सा अंश आत्मा के रूप में है । जब वह जागृत हो जाता है , वह सब से करीब का परमात्मा लगता है ।
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मधूचैतन्य ....
मा .अप .[ २०१७ ]
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