आप किसी भी माध्यम को मानो, मानना आत्मा का शुद्ध भाव है।
_*आप किसी भी माध्यम को मानो, मानना आत्मा का शुद्ध भाव है। वह भाव ही मनुष्य को झुका सकता है और मनुष्य जितना झुकता है, उतना ही उसका स्वयं का अस्तित्व समाप्त हो जाता है।*_
_* जय बाबा स्वामी*_
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_*HSY 2 pg 59*_
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