आध्यात्मिक सत्य
- " समर्पण ध्यान " ईश्वरप्राप्ति का वह मार्ग है जिसमे सदगुरु के सानिध्य में सामूहिक प्रयास किया जाता है ।
- " समर्पण " ध्यान से एक आत्मा अनेक आत्माओँ की सामूहिक शक्ति से जुड़ जाती है।..
- " समर्पण ध्यान " संपूर्ण प्राकुतिक है । बस अपने अस्तित्व को प्रकुति के अस्तित्व में विलीन कर दो ।...
- " समर्पण ध्यान " एक गुरुमँत्र की सामूहिक शक्ति पर निर्भर है । आपने गुरुमँत्र किस भाव से कहा , उसी पर निर्भर है ।...
- " समर्पण ध्यान " अनुभुतियोँ पर आधारित है । आप इसमें जैसे -जैसे प्रगती करते है , वैसे -वैसे आपको अनुभुतियाँ होना शुरू हो जता है ।
- " समर्पण ध्यान " आज की परिस्थिति के अनुसार है । वर्तमान की ध्यान पद्धति है । वर्तमान वैचारिक प्रदूषण के जगत में आसानी से किया जा सके , ऐसी सरल ध्यान की पद्धति है । वर्तमानकि होने के कारन आसानी से अपनाई जा सकती है । अपनाकर अनुभव करे ।...
- समर्पण ध्यान पढ़ने का नही , करने का है । सिर्फ आपको करने की प्रेरणा मिले , इसीलिए इतना लिखा गया है ।
[ आध्यात्मिक सत्य ]
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