अगर मै मेरे सदगुरु को पानी पिलाता था तो मेरी प्यास बुझ जाती थी ,
🦋🕉🦋
अगर मै मेरे सदगुरु को पानी पिलाता था तो मेरी प्यास बुझ जाती थी , यह मेरा अनुभव है । यह सब बाते मै उसी अनुभव के साथ कह रहा हूँ । इसलिए कहता हूँ की सदगुरु की सेवा सब से बड़ा पुन्यकर्म है क्योंकि वह हम हमारे जीवन मे आसानी से कर सकते है । बस , वह दिखावा करने या अहंकार बढ़ाने के लिए न किया गया हो । सदगुरु का शरीर ऐसा विशाल शरीर है जिसमें विश्व कि समूची मानव जाती ही नही , सारे प्राणीमात्र विद्यमान होते है । बस , आप में वह भाव और और वह दृष्टि विद्यमान होनी चाहिए । अगर वह भाव जागृत हो गया तो आपको अनुभव होगा कि सदगुरु एक शरीर नही है , चलता -फिरता एक समूचा विश्व ही है ।
*******************
परम पूज्य स्वामीजी
ही .का .स .योग ...
भाग ५ 🌹
पृष्ठ ३२
************
🙏जय बाबा स्वामी 🙏
🌸 🌸 🌸 🕉 🌸 🌸 🌸
Comments
Post a Comment