"शाश्वती , बाबाधाम, 31st May 2017

कल स्वामीजी आचार्य संमेलन के बाद घर आए। वे थोडे थके होने पर भी उन्हें शाम को बगीचे में अच्छा लगता है तो उन्होंने कहा " एक धण्टे बाद नीचे गार्डन में मिलो"। चाय के साथ गार्डन में प्रवचन के विषय पर चर्चा हो रही थी और अचानक से उन्होंने कहा "मैंने साधको को संदेश दीया की आँख पलकते ही ध्यान लग जाना चाहिए, पर क्या मैं खुद कर सकता हूँ? शाश्वती क्या तुम परीक्षण करोगी की मेरा कितने समय में ध्यान लगता है? " मुझे आश्चर्य हुआ, फिर मैंने मोबाईल में स्टोपवोच चालु कि और स्वामीजी से कहा कि मैं जब 'स्टार्ट' कहूँ तब आप ध्यान शुरु कीजिएगा। पहली बार उन्हें 18 सेकन्ड लगे। फिर उन्होंने कहा , " मैं उच्च स्थिति में चला गया था। अब जब मैं कहूँ तब फिर से एकबार देखो कि मेरा कितने समय में ध्यान लग जाता है।"  तो फिर से मैंने ' स्टार्ट' कहा, तब सिर्फ 4sec में उन्होंने कहा कि  " मैं पहुँच गया। "

मैं अचंबित थी क्योंकि मैं समय देख रही थी तो उनसे दूर नहीं थी, उनके इतने नजदीक होते हुए भी वे इतनी जल्दी उच्च स्थिति में चले गए।

सिर्फ उन्हें ध्यान करते देखने से ही मुझे इतनी शांति महसूस हो रही थी पर पता नहीं कैसे, मेरे कान बँध हो गए, जैसे मैं प्लेन में बैठी हुँ और कान में दबाव आता है, और फिर आँखे भी बँध होने लगी, पर मैं नीँद में नहीं थी।

फिर उन्होंने कहा , " अब समय मत देखना, तुम्हें क्या अनुभव हो रहा है, वो बताना।" मैंने हाँ कहा और अचानक ठंडी-ठंडी हवा आने लगी, जब कि मौसम तो गरम था।

यह.बहुत अद्भूत अनुभव था। स्वामीजी थके हुए थे फिर भी चँद सेकन्ड में ध्यान की उच्च स्थिति.में पहुँच गये और अद्भुत अनुभूति.भी करवाई, जिसे शब्दों में वणिँत करना मुश्किल है। फिर भी यह अनुभूति बाँटने के लिए , लिख रही हुँ।

फिर जब स्वामीजी ध्यान से बाहर आए, मैंने उन्हें अपना अनुभव बताया, तो उन्होंने कहा , " मेरे भी कान बँध हो गए थे और ब्रह्मनाद भी सुनाई दीया। "

स्वामीजी ने सिर्फ एक बात कही, " जो मैं कर सकता हूँ, तो तुम सब कर सकते हो।"

यह बात ने मुझे अचंबित कर दिया। यह सब नियमितता से संभव है, हम सब कर सकते है।  "शाश्वती , बाबाधाम, 31st May 2017

Comments

Popular posts from this blog

Subtle Body (Sukshma Sharir) of Sadguru Shree Shivkrupanand Swami

सहस्त्रार पर कुण्डलिनी