स्त्री का प्रेम तथा उसका समर्पण उसकी कमजोरी नहीं , उसकी शक्ति होती है ।

  • स्त्री का प्रेम तथा उसका समर्पण उसकी कमजोरी नहीं , उसकी शक्ति होती है ।
  • जैसे लताएँ वृक्ष के सहारे ऊपर चढ़ती है । वृक्ष ही लता को सँभालना है किंतु आँधी आने पर स्थिर रहने में सहायता प्रदान करती है ।
  • जब भी दुष्ट लोग स्त्री के समक्ष स्वयं को दुर्बल महसूस करते हैं , तब वे उस स्त्री का चरित्र हनन करने का प्रयास करते है ।

वंदनीया गुरुमाँ
स्त्रोत : *माँ*

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