भगवान को मानना ह्दय का शुध्ध भाव है |

" भगवान को मानना ह्दय का शुध्ध भाव है | जब हम भगवान को किसी भी रूप में माने हैं तो उस समय हम एक अच्छी मानसिक स्थिति में होते हैं| और यह स्थिति ही मनुष्य को समाधान एवं मन की शांति प्रदान कर सकती है | आप किसी को भी अपना भगवान् मानो, श्रध्धा की भावना से एक आत्मशांति अनुभव करते हैं | यह इसलिए हो जाता है कि जाने-अनजाने में आप कहीं-न-कहीं अपने *मैं* ' के अस्तित्व को विसर्जित करते हैं|.    हि.स.यो-३.    पृष्ठ-२८८

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