स्त्री का पूर्ण स्वरूप माँ का ही है।
*स्त्री का पूर्ण स्वरूप माँ का ही है। वह सदैव माँ ही होती है। और माँ होने के लिए आवश्यक नहि की उसे बच्चा हो ही। माँ होना स्त्री का मूल स्वभाव है और जब वह उस स्वभाव के अनुरूप होती है तो उसके भीतर से ऊर्जा का एक प्रभाव निकलता है। वह ऊर्जा उसके मूल स्वरूप के कारण ही निर्मित होती है। *
* जय बाबा स्वामी*
* जय बाबा स्वामी*
-*HSY 2 pg 167*
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