आज के युग में मनुष्य के विचारों में भ्रम की स्थिति है।आजकल भ्रम सतत पैदा किया जा रहा है। अब वही होता रहेगा। " ' मोक्ष ' पाना पुस्तकों में इतना कठिन बताया गया है,भले ही पुस्तकें स...
मनुष्य ५०% देव है और ५०% दानव है। यानी हमारे में दोनों का ही अंश विधमान होता है। यानी हम जिनकी संगत में रहते हैं , वे गुण हमारे बढ़ जाते हैं। और हम किस संगत में रहते हैं, उस पर ही हमा...
मेरे कारण आप अपनी मंजिल तक पहुँचे ,ऐसा कभी मत समझना । रास्ता तो अपनि जगह् पर स्थित था ,वह थोड़े आपके घर आपको लेने आया । आपका ही मजिल पर पहूँचने क़ा समय आ गया था ।इसीलि...
उस दिन लग रहा था--प्रत्येक मनुष्य की सर्वोच्च,शुद्धतम इच्छा,जो कि मोक्ष पाना है, वह पूर्ण हो, ऐसी शुध्द इच्छा रखना तो सबसे बड़ी इच्छा है। इससे अधिक तो कुछ हो ही नहीं सकता है। मोक...
हम शरीरभाव कितना भी बठाएँ तो भी शरीर का आंत हो सकता है , शरीर की आवश्यकताओं का नहीं। और शरीर जो प्राप्त करना चाहता है, वह सब सुविधाएँ हैं। उसका शरीर को आराम मिलेगा लेकिन सुख नह...
शरीर के सारे प्रयास छोड़ देना, अपने आपको सद्गुरु के माध्यम से परमात्मा को संपूर्ण समर्पित कर देना ही समर्पण ध्यान है । .. . . . . . . . . . . . आत्मा की "माँ " बाबा स्वामी ...
हमारे भीतर क़ा भाव चित्त को पवित्र और शुद्ध करता है और शुद्ध चित्त ही हमे सद्गुरु क़ा सानिध्य प्रदान करता है । और सद्गुरु क़ा सानिध्य मिल जाने के बाद ध्यान खुद -ब -खुद ...
प्रत्येक आत्मा इस जगत में अकेली ही आती है और इसी प्रकार अकेली ही सफर करती है | आत्मा सदैव अकेली ही सफर करती रहती है | वह कभी किसी के साथ नहीं होती है | जो साथ होता है, वह शरीर होता है |...
आज से 'गहन ध्यान अनुष्ठान 'का प्रारम्भ हूंआ हे । गुरूशक्तिया तो सदेव हमारे साथ ही होती हे । लेकिन हमें उसका कभी एहसास नहीं होता हे। वह बोहत पवित्र एव शुध्द होती हे । ओर हमारा च...
ઝૂલો પણ આપણા જીવન જેવો જ છે.આપણે આપણા જીવનમાં માત્ર ને માત્ર વિચારોને કારણે જન્મ લઈએ છીએ. તમને આશ્ચર્ય થશે, પણ ફક્ત વિચાર....વિચારોને કારણે જન્મ થયો છે! વિચારોને કારણે જન્મ થય...
मैंने जीवन में मोक्ष का ज्ञान-मोक्ष की स्थिति प्रदान करने की शुध्द इच्छा की थी।मोक्ष ध्यान की सर्वोच्च अवस्था है।उसे बाँटने की शुध्द इच्छा सर्वोत्तम इच्छा है।प्रत्येक ...
" आत्मा गुरु हो जाए तो मनुष्य को बाहरी तौर पर ग्यान देने की आवश्यकता ही नहीं रहेगी | मनुष्य को सुधारने का एक ही मार्ग है- आत्मजागृति | क्योंकि उसके बिना सब व्यर्थ जान पड़ता है | म...
आत्मा एक जीवन में जिस माध्यम को जान जाती है, उसे उस जीवन में मान नहीं पाती। और अगले जीवन में उसे मान पाती है, लेकिन अगले जन्म तक देर हो चुकी होती है। फिर अगले जन्म में जो माध्यम स...
मनुष्य के शरीर क़ा जन्म ही आत्मा के जन्म के लिए होता है । लेकिन इन दो शब्दों के बीच कई जन्मों क़ा अंतराल होता है । क्योंकि शरीर के कई जन्मों के बाद आत्मा क़ा जन्म होता है । मनुष...
श्री मंगलमूर्तियों की योजना बनाई गई। आगे का गुरुकार्य नई मंगलमूर्तियों के माध्यम से आगे बढ़ेगा। ये विश्व में एक प्रकार का संतुलन कायम करेगी जो संतुलन विश्व में शांति लाए...
*सभी पुण्य आत्माओं को मेरा नमस्कार ....* *आज से 'गहन ध्यान अनुष्ठान' का प्रारंभ हुआ है। गुरूशक्तियाँ तो सदैव हमारे साथ ही होती हैं। लेकिन हमें उसका कभी एहसास नहीं होता है। वह बहु...