चित्त मोक्ष का द्वार

* जिस प्रकार से शरीर की दो आँखे होती है,ठीक इसी प्रकार से आत्मा की आँख चित्त होता है ।

*हमारे चित्त की ओर हमारा बिल्कुल ध्यान नही होता है ।

*अपने चित्त को संभालने के लिए आवश्यक है ---बुरा मत देखो ---बुरा मत सुनो और बुरा मत कहो क्योंकि ये तीन द्वार है जहाँ से चित्त शक्ति नष्ट होती है ।

*चित्त की "पवित्रता और शुद्धता "ही मोक्ष का द्वार है ।

आध्यामिक सत्य
बाबा स्वामी

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