सत्य दर्शन
हम साधक भी ध्यान करते है,पर मन में,कोई सिद्धि मिले,ऐसी कामना रखते है।कोई अपने पिछले जन्म को जानना चाहता है,तो कोई दूसरें के विचारोँ को पढ़ना चाहता है।क्या इन में चित्त डालकर .....जान कर चित्त नष्ट न होगा ? आइए केवल ध्यान करे .....सत्यदर्शन करे ....
आपकी
गुरुमाँ
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