आत्मपरीक्षण

     केवल आध्यात्मिक प्रगति की बात इसलिए कर रहां हुँ ,क्योकि एक योगी के सामने तो "समृद्धि "हाथ जोड़े सदैव खड़ी ही रहती है । योगी की आवश्यकता के पूर्व "समृद्धि "आवश्यकता को पूर्ण करती है । तो अभी एक लंबा ध्यान साधना का सफर आपको करना बाकी है । यह जानकर सफर पर चल पड़िए । जीवन ' के हर मोड़ पर आप मुझे अपने भीतर ही पायेगे । क्योकि अब "मै "मेरा न रहा हुँ । आपका सर्वस्व हो हो चुका हुँ । यह मै अनुभव कर रहा हुँ । आप भी कभी अनुभव करके देखे । इसी आशीर्वाद के साथ

आपका
बाबा स्वामी                  

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