सद्गुरु अपने अंतिम जीवन में

सद्गुरु अपने अंतिम जीवन में, प्रायः एकांत में ही रहते हुए, अपने सारे शिष्यों को चित्त में रखकर ध्यानसाधना करते रहते हैं। इसलिए इनके ध्यान के अनुष्ठान में उन सब शिष्यों की आध्यात्मिक प्रगति हो जाती है जो उनसे जुडे रहते है।

हि.स.यो.१/२९१

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