मनुष्य को सुधारने का एक ही मार्ग है- आत्मजागृति
" आत्मा गुरु हो जाए तो मनुष्य को बाहरी तौर पर ग्यान देने की आवश्यकता ही नहीं रहेगी | मनुष्य को सुधारने का एक ही मार्ग है- आत्मजागृति | क्योंकि उसके बिना सब व्यर्थ जान पड़ता है | मनुष्य ने मनुष्य के सुधार के लिए सामाजिक, आर्थिक कानून बनाए हैं, नियम बनाए हैं लेकिन इन नियमों की सबसे बड़ी कमजोरी है, ये मनुष्य ने बनाए हैं | मनुष्य के ध्वारा बनाए गए कानून से बचने का मार्ग मनुष्य निकाल ही लेता है | इसलिए जब तक मनुष्य स्वयं सुधरना न चाहे , उसे कोई नियम नहीं सुधार सकता है | मनुष्य के ध्वारा बनाए गए कानून मनुष्य को सुधारने के लिए पर्याप्त नहीं हैं, आत्मसुधार की आवश्यकता है | सदैव तो प्रत्येक मनुष्य पर ध्यान नहीं रखा जा सकता है, केवल उसकी आत्मा ही उस पर सतत ध्यान रख सकती है | आत्मा की प्रगति के बिना सारी प्रगति व्यर्थ है | वह सारी प्रगति नई समस्याओं को जन्म देगी | स्वयं की आत्मा को गुरु बनाओ, यह आध्यात्मिक प्रगति का एकमात्र मार्ग है |
हि.स.यो-४
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" the soul becomes the guru, the outer man typically require increasing not fall | man the same way-Ātmajāgr̥ti | because without him, everything seems useless | man man correction For Social, economic laws, made regulations are enacted regulations, however, the biggest weakness, this man has scored | man made law dhvārā to avoid the path of the just man takes out so till | Man Himself do not wish to ameliorate it, no rule can improve. | man made law dhvārā man enough to not need ātmasudhāra | so always concentrate on every human being, not may. His soul is the only one on continuous care. | May the soul of all useless without progress is progress | all the new problems give birth to himself. | the master it is spiritual, the only way to progress |
हि.स.यो-४
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