मोक्ष ध्यान की सर्वोच्च अवस्था

मैंने जीवन में मोक्ष का ज्ञान-मोक्ष की स्थिति प्रदान करने की शुध्द इच्छा की थी।मोक्ष ध्यान की सर्वोच्च अवस्था है।उसे बाँटने की शुध्द इच्छा सर्वोत्तम इच्छा है।प्रत्येक मनुष्य जीवन का एक ही लक्ष्य है--मोक्ष पाना। यह प्रत्येक मनुष्य की अंतिम इच्छा है।अब, प्रत्येक मनुष्य की यह अंतिम , सर्वोत्तम इच्छा पूर्ण हो,यह शुध्द इच्छा रखने के कारण ही श्री शिवबाबा ने प्रथम मुझे तीन दिनों तक समाधि की अवस्था में रखते हुए मोक्ष की स्थिति दी ताकि वह स्थिति मैं प्रत्येक आत्मा को बाँट सकूँ जो उसे मेरे माध्यम से पाना चाहती है।फिर पाने वाली आत्मा कोई भी हो,उसका शरीर किसी भी रंग का हो,किसी भी देश का हो,किसी भी धर्म का हो,किसी भी जाति का हो, किसी भी लिंग का हो,उससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा।वह मोक्ष पाने की शुध्द इच्छा रखने वाली आत्मा रहेगी,बस उसी में उसकी सारी योग्यताएँ होंगी।प्रत्येक धर्म का अंतिम लक्ष्य एक ही है,वह है मोक्ष को पाना। मोक्ष ध्यान की चरम अवस्ता है जिसे पाना प्रत्येक मनुष्य जीवन का अधिकार है।यह चरम अवस्था उस प्रत्येक आत्मा को मिलनी चाहिए जो उसे पाना चाहती हो।संसार की सारी उपासनापध्दतियाँ इसी अंतिम लक्ष्य को पाना चाहती हैं।
सारी उपासनापद्धतियाँ इस गौरीशंकर के उच्च शिखर को ही पाना चाहती हैं। सभी का यह एक ही लक्ष्य है। यह लक्ष्य पाने के लिए ही प्रत्येक मनुष्य जन्मा है। यह ठीक वैसा ही है जैसे बरसात की प्रत्येक बूँद का लक्ष्य सागर ही होता है। बरसात की प्रत्येक बूँद यही समझकर  पृथ्वी पर गिरती है कि उसे सागर में ही पहुँचना है। ठीक इसी प्रकार ,इस धरती पर जन्म लेने वाली प्रत्येकआत्मा, वह शरीर के किसी भी रूप में हो,मोक्ष पाना चाहती है।...

हि.स.यो-४                 
पु-४२४

Comments

Popular posts from this blog

Subtle Body (Sukshma Sharir) of Sadguru Shree Shivkrupanand Swami

सहस्त्रार पर कुण्डलिनी