मनुष्यधर्म

सभी धर्मों का सार एक ही है -अपने भीतर के मनुष्यधर्म को जगाओ ।
बाहरी धर्म के चोले  कितने ही बदल ले,कुछ नही होता ,जब -तक भीतरी आत्मधर्म -मनुष्यधर्म जागृत नही होता।. . .

आत्मा की माँ पूज्य बाबास्वामी
आध्यात्मिक सत्य

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