दान का महत्त्व
सारे धर्मों में दान को बड़ा महत्त्व दिया गया है | वास्तव में ,दान देने का अर्थ धन या कपडा ,अन्नादि देने से नहीं है | ये भौतिक साधन है जिनके माध्यम से मनुष्य अपना भाव प्रकट करता है | वास्तव में दान का उद्देश्य सबके प्रति अच्छा भाव प्रकट करना है | पर भाव आत्मिक रूप से प्रकट करने की अपेक्षा वस्तुओं के रूप में प्रकट करना आसान होता है ,इसलिए वस्तुओं के माध्यम से करता है | मुख्य बात है सभी के प्रति सद्भावना रखना |
वास्तव में देखा जाए तो दान करने में भी आत्मशुद्धि का ही भाव है | आत्मशुद्धि करने के बाद में ही आध्यात्मिक प्रगति संभव होती है | बाँटना ही आध्यात्मिक प्रगति में पहली और अंतिम पादान है | केवल अंतर है - भौतिक वस्तुओं और आत्मीय अनुभूति का |
हि.स.यो.३/७५
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