दूसरों के कल्याण के लिए

*अपनी आवश्यकता से अधिक जीवन में जो भी प्राप्त होता है वह सदैव दूसरों के कल्याण के लिए ही होता है। *

* बाबा स्वामी *
*HSY 5 pg 443*

Comments

Popular posts from this blog

Subtle Body (Sukshma Sharir) of Sadguru Shree Shivkrupanand Swami

सहस्त्रार पर कुण्डलिनी