जिवंत मुर्तिया स्वयं बोल उठेंगी
वे जिवंत मुर्तिया स्वयं बोल उठेंगी, वे मनुष्य के प्रत्येक प्रशन का उत्तर देंगी, प्रत्येक समस्या का समाधान देंगी.
अशांत मन को सांति देंगी, भयभीत मन को विश्वास देंगी, निराधार को आधार देंगी, बीमार को स्वास्थ्य देंगी.
ये मुर्तिया तो कल्पवृक्ष के सामान होंगी. उसके सानिध्य में, आप चाहोगे तो पाओगे, ऐसी स्थिति होगी.
वे ज़माने के ठुकराए हुए मानुष को भी अपनाएगी.
उनके द्वार पर खोटे सिक्के भी चल पड़ेंगे.
बस, दर्शन करने वाला कितने विश्वास से आता है, कितने विश्वास से अपनी बात कहेता है, इसी पर सब निर्भर होगा....
ही.स.यो. भाग - ४,
पुष्ट ३१३
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