आत्मसंगत
आत्मसंगत से मेरा आशय अपने आत्मा के साथ रहना । हम दिनभर अलग -अलग आत्माओ के सानिध्य में रहते है । लेकिन अपने आत्मा के नही , हम दिनभर भले ही बाहर घूमते हो लेकिन रात को अपने घर आ ही जाते है । ठीक इसी प्रकार से हमारा अपना घर तो "' आत्मधाम "' है , जिसे संतों ने "'निजधाम "' कहा है । इस "निजधाम " में आप दिनभर में आधा घंटा तो भी समय अवश्य दे । इसमें के २० मिनीट आपको भीतर जाने में लगेंगे और आखरी के १० मिनीट में आप मुझे अपने साथ पायेंगे ।......
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*सदगुरु के र्हदय से *
१५-- १-- २०१५
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