मोक्ष की इच्छा करने से ही मोक्ष मिल सकता है क्या?

आज के युग में मनुष्य के विचारों में भ्रम की स्थिति है।आजकल भ्रम सतत पैदा किया जा रहा है। अब वही होता रहेगा। " ' मोक्ष ' पाना पुस्तकों में इतना कठिन बताया गया है,भले ही पुस्तकें सालों पुरानी हों ,तो मोक्ष की इच्छा करने से ही मोक्ष मिल सकता है क्या?ऐसा करने से ही मोक्ष मिलता तो सभी लोग मोक्ष पा लेते!" ऐसा भ्रम मन में रखने से वह भ्रम मोक्ष की इच्छा को अभिव्यक्त भी नहीं करने देगा। ऐसे तो आत्मसाक्षात्कार भी कभी माँगने से मिलता था क्या?
नहीं!सारा जीवन तपस्या करते थे तो भी नहीं मिलता था। लेकिन आज मिल सकेगा क्योंकि उचित समय और उचित माध्यम आज समाज में है।  यह समय की आवश्यकता है,यह समय के अनुसार घटित हुआ एक विशिष्ट योग है। इसीलिए माध्यम का निर्माण गुरुशक्तियों ने किया है। अब कुछ भ्रम के जाल में फँस    जाएँगे और कुछ सोचेंगे," चलो, माँगकर देख ही लें " तो जो सोचेंगे,वे रह जाएँगे और जो माँगेंगे, वे पाएँगे। अब सभी को तो मोक्ष पाने की बुध्दि नहीं हो सकती है क्योंकि वह होना भी पूर्वजन्म के कर्मों के कारण ही होता है। मैं कर भी क्या सकता हूँ?केवल अपनी शुध्द इच्छा को बनाए रखकर जीवन जीता आया हूँ और बाकी का जीवन भी इसी शुध्द इच्छा को लेकर  जीऊँगा।  वह,इतना ही मेरे क्षेत्र में आता है और वही मैं ,अपने क्षेत्र में रहकर करुँगा। बाकी आत्माएँ तो उनकी वे ही जानें , सब अपना-अपना योग है। आज पता नहीं, क्यों लगा कि इस स्थान का कार्य समाप्त हो गया है,आज सबकुछ रिक्त हो गया,खाली हो गया, ऐसा लग रहा था।...

हि.स.यो-४                  
पु-४२६

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