देने की केवल एक इच्छा करे तो बस उसका जीवन ही बदल जाएगा।

आज मनुष्य को चाहिए कि वह देने की केवल एक इच्छा करे तो बस उसका जीवन ही बदल जाएगा। यह देने की एक इच्छा ही उसे सबकुछ प्रदान कर देगी जो उसने सोचा भी नहीं होगा।मेरे सारे जीवन का सार ही यह ,दूसरों को देने की शुध्द इच्छा है। लेकिन यह इच्छा शुध्द स्वरूप में ही हो क्योंकि इसकी शुध्दताऔर पवित्रता के ऊपर ही सबकुछ निर्भर है।अब यही प्राप्त अनुभव मैं समाज में जाऊँगा, सभी आत्माओं को एक समान बाँटूँगा और कहूँगा," जीवन में जो पाना चाहते हो,वह बाँटना प्रारंभ कर दो और पाने की इच्छा कभी मतरखो। " यह ' पाने की
इच्छा 'आध्यात्मिक मार्ग की एक बड़ी बाधा है जो हमारी ग्रहण करने की क्षमता को कम कर देती है। अब जीवन में देने की इच्छा करो,परमात्मा तुम्हारी झोली  उसी से भर देगा जो तुम देना चाहते थे। तुम लोगों को खुशियाँ देने की शुध्द इच्छा रखोगे,तुम्हारे जीवन में खुशियों की बरसात होगी। तुम लोगों को सुख देने की शुध्द इच्छा रखोगे,परमात्मा तुम्हें सुखी कर देगा।तुम लोगों में धन बाँटने की शुध्द इच्छा रखोगे , परमात्मा तुम्हारे ऊपर धन की बरसात कर देगा।तुम लोगों में प्रेम बाँटने की शुध्द इच्छा रखोगे, परमात्मा तुम्हारे ऊपर प्रेम की झड़ी  लगा देगा। तुम जीवन में आत्मीयता बाँटने की इच्छा रखोगे ,परमात्मा तुम्हें आत्मीयता से भर देगा। तुम दूसरे के बच्चों को सुखी रखने की शुध्द इच्छा रखोगे, परमात्मा तुम्हारे बच्चों को सुखी रखेगा। तुम जीवन में आदर पाना चाहते हो तो जीवन में  दूसरों को आदर दो। जीवन में तुम केवल दूसरों में बाँटने की इच्छा रखो, तुम्हें जीवन में सबकुछ  मिल जाएगा।...
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हि.स.यो-४                    
पु-४२३

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