परमात्मा रूपी विश्वचेतना और शरीरधारी माध्यम इन दोनों में क्या फर्क है

इसलिए प्रथम परमात्मा रूपी विश्वचेतना और शरीरधारी माध्यम इन दोनों में क्या फर्क है , यह समझने की आवश्यकता है। तभी परमात्मा क्या है , यह समझ में आएगा। और जब शरीर भी पूर्णत: परमात्मा की विश्वचेतना के साथ एकरुप हो गया तो शरीर का अस्तित्व ही समाप्त हो गया औऱ शरीर का दिखना भी बंद हो गया। वास्तव में, यह मेरा सत्य स्वरूप है। लेकिन सदैव अगर उस सत्य स्वरूप में ही रहूँ तो शरीर तो कभी दिखेगा ही नहीं। तो शरीर से कार्य कैसे होगा ?

भाग - ६ -७९

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