हमें ज्यादा गुस्सा क्यों आता है ?

प्रश्न 33 : हमें ज्यादा गुस्सा क्यों आता है ?

स्वामीजी : यह समझ लो की यह हॉल है, हॉल के अंदर ये इलेक्ट्रीक की लाइन जा रही है | तो वो लाइन्स तो सभी जगह है; एक जगह से एक सरीखा जा रहा है | लेकिन एकादे स्थान के उपर अगर वायर खूब ज्यादा गर्म हो रहा है तो इसका मतलब ये है क्या कि इसका उपर वहाँ लोड आ रहा है ? नहीं | लोड तो सब जगह एक जैसे आ रहा है | लेकिन वो वायर गरम हो रहा है इसका मतलब वो वायर वहाँ कमजोर है, वहाँ वीक है | तो ठीक उसी प्रकार से गुस्सा उन व्यक्तियों को आता है जो कमजोर व्यक्ति है | कभी भी सशक्त व्यक्ति को कभी कोई गुस्सा नहीं आता | और दूसरा,या तो आप अपने चित्त को इतना शुद्ध कर लो, इतना पवित्र कर लो कि - माने, आपके मन में किसी के प्रति कोई दुर्भावना नहीं है | इसके बावजूद भी अगर आप किसी को डाँटते हैं, किसी को ये करते हैं, उसका कोई बुरा इफेक्ट उस पर नहीं पड़ेगा, उसको कोई बुरा नहीं लगेगा | इसलिए गुस्सा करना अच्छी बात नहीं है | एक असंतुलित स्थिति का द्योतक है | याने, आपकी स्थिति कमजोर है, आपकी स्थिती विक है, इसलिए गुस्सा आ रहा है | और गुस्सा उन व्यक्तियों को आता है जो भूतकाल के ज्यादा विचार करते हैं | पीछे के विचार जो ज्यादा करते हैं न, वो विचार करते करते करते असंतुलन की स्थिति निर्माण हो जाती है | और बाद में उनको गुस्सा आता है | दूसरा, गुस्सा जिनको आता है उनका लीवर भी गरम रहता है; याने वो पढने बैठेंगे तो उनका चित्तभी एकाग्र नहीं होगा | एकाग्र इसलिए नहीं होगा क्योंकि उनका लिवर गरम है | माने, एक असंतुलन की स्थिती उनके जीवन में निर्मित रहती है |

बाल विकास शिविर - प्रश्नोत्तरी
मधुचैतन्य : अप्रैल,मई,जून-2010

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