विश्वचक्र का चौथा दिन
किसी भी उजाे को स्थापीत होने मे तीन
दिन का समय लगता है।शरीर से आत्मा तक का सफर भी तीन दिन का
ही होता है।
कल इस अनुष्ठान के तीन दिन पुणे हो
गये।तो आज यह अनुभव हुआ की श्री
मंगलमुतीे की उजाे उपर स्थापीत है।
वह वहॉ पकडे रहती है।और न नीचे
जाने देती और न बाहर जाने देती और
नीचे श्री गादी स्थान की उजाे उपर ही
जाने देती ।दोनो और जबरजस्त उजाे
महसुस होती है । दोनो जगह एक
विषेष प्रकार का आकेषण महसुस
होता है।
आज मुझे लगा की एक मॉ को लगता है। की मुझे कोई संतान नही है। एक
तो बच्चा होना चाहीये ।और उपर वाला उसकी सुनलेता है। और उसे दो
जुडवा बच्चे हो जाते है। और दोनो बच्चो एक साथ ही भुक लगती है।
तो “मॉ” को दोनो बच्चो को” स्तनपान” कराने मे जो कठीनाई होती
है।बीलकुल ठीक वही कठनाई आज
मैने महसुस की है।पता नही आगे के
चार दिन मे क्या होगा।
आप सभी को खुबखुब आशिेवाद
आपका अपना
बाबा स्वामी
समपेण आश्रम दांन्डी गुजरात
आज का अनुष्ठान सुबह 8 बजे प्रांरभ हुआ और दोपहर2 बजे तक चला।
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