चींटी

तुम तो ' चींटी ' को गुरू बना लो | चींटी का स्वंय का अस्तित्व कुछ नही होता , एकदम छोटा- सा जीव है | लेकीन यही जीव जब सामूहीकता में रहता है , हजारो की संख्या मै रहता है तो बडे बडे सॉंप पर भी वह भारी पडता है | यह अहंकार का भी बडे सॉंप जैसा ही है जिसे सामूहीकता में ही नियंत्रण किया जा सकता है |
     
हि.स.स.यो.
४/२५०.         

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