परमात्मामय

आप अपने आपको "मैं" ओर "मेरा" , "मुजको" की वजह से परमात्मा  को आपसे अलग कर रहे हो |आप अलग हो जाओगे तो परमात्मा  कैसे पा़प्त  करेांगे?? आपको परमात्मामय बनना है | आप पानी की बूंद नही है, आप "अगाध सागर "  हो.. ये बात याद रखना | अलग अस्तित्व  की वजह से सागर "बूंद" कहलाती है | वरना वो हंमेसा सागर ही होता  | भय बूंद को होती हैं   ,नाश होने का  भय बूंद को होता है , सागर को नही | मैं का अहंकार  आपको "बूंद" बनाता है | इसलिए " मैं " को ही समाप्त  करना है |

आपका
बाबा स्वामी
Page no:13-14
"आध्यात्मिक  सत्य"

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