शुद्ध इच्छा की पूर्ति

में कच्छ समर्पण आश्रम महोत्सव२०१४ में मैं सम्मिलित हुई थी। कार्यक्रम के 3
दिन, पूज्य स्वामीजी अपने प्रवचन के दौरान ध्यानस्थ हो । भी अनायास स्थिर हो गई तब मेरी आंखें बंद हो गई तथा मैंने मन ही मन यह संकल्प कर लिया - ‘हे परमात्मा! आज मैं इस कल्पवृक्ष के
नीचे बैठी हु । मैं यह शुद्ध इच्छा कर रही हूँ कि मुझे दशबंधधारी योजना में जुड़ना है। हमारी आय का दसवाँ हिस्सा आश्रम हेतु दे सकें, ऐसी आप कृपा करना!' के तत्पश्चात् पूज्या गुरुमाँ ने अपने प्रवचन के दौरान प्रदर्शनी में से पूज्य स्वामीजी के आशीर्वचनों के कार्ड प्राप्त करने हेतु सूचित किया। कई साधक कार्ड लेने हेतु कतार में खड़े थे जिसमें मैं भी शामिल हो गई मेरी बारी आने पर मैंने भी एक कार्ड उठाया।
उसमें प्राप्त आशीर्वचन इस प्रकार से था – ‘आप देने का संकल्प करो तो भी मेरी सारी शक्तियाँ आपके संकल्प पूर्ण करने के लिए आपके पीछे हो लेंगी!” इस सुवाक्य को पढ़ते ही मैं रो पड़ी तथा स्वामीजी को धन्यवाद देते हुए मन में भाव आए कि ‘वाह बाबा वाह! तू कितना दयालु है!' यह मेरे लिए गुरुकृपा ही है जिसका जीवंत अनुभव में प्रतिदिन कर रही हूं।

एक साधिका, सूरत l

मधु चैतन्य, मार्च -अप्रेल 2017

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