विश्व चक्र अनुष्ठान का छठा दिन
आज का अनुभव यह था की कोई भी
माध्यम बन सकता है। बस वह रिक्त
होना चाहीये वह हो तो स्थुल मे पर
स्थुल से मुक्त हो। ऐसे ही दो माध्यम
यहॉ श्री मंगलमुती् और श्री गादी स्थान के रूप मे स्थापीत हो गये है।
जो स्थुल मे हो कर भी स्थुल के प्रभाव
से मुक्त है। दोनो रिक्त है दोनो पवीत्र
है। इसलीये दोनो के माध्यम से परम
चैतन्य बह रहा है।
बस अब इस दोनो का संगम करना बाकी है। दोनो को एक धार मे लाना
है।माध्यम तो दोनो से समान रूप मे
जुडा हुंआ है।बस दोनो को जोडना
बाकी है।
जो कुछ होगा वह अनायास ही होगा
कुछ घटनाऐ अनायास ही घटती है।
सब घटनाओ का “कतेा” नही होता
अनायास की ही प्रतीक्षा चल रही है।
यह आज जरूर लगा की जो होगा
वह “आध्यात्मीक जगत” मे प्रथम
ही होगा।यह एक आध्यात्मीक क्रांन्ती
होगी।और जो 800 साल की दृष्टी से
होगा।वह आसान तो नही होगा।बस
धीरज रखने की आवश्यकता है।
आप सभी को खुब खुब आशिवाद
आपका अपना
बाबा स्वामी
समेपण आश्रम दांन्डी गुजरात
26/12/2018
आज का विश्व चक्र अनुष्ठान सुबह 8 से शाम 4 बजे तक चला था।करीब 8
घंन्टो मे ही सपन्न हो पाया ।
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