आठ श्री गुरुशक्ति धाम
हम हमारे जीवन के बाद भी इस ज्ञानगंगा के रूप में इस संसार में महकते रहें। इस मूर्ति के माध्यम की स्थापना की आवश्यकता ही नहीं होती, अगर यह मेरा आखिरी जन्म न होता। यह मेरा आखिरी जन्म है। इस जन्म के बाद गुरुकार्य करने को नहीं मिलेगा।
इसीलिए गुरुकार्य करने के लिए इस मार्ग को अपनाया है और आठ 'श्री गुरुशक्ति धाम' बनाने की योजना है ताकि इन आठ स्थानों से आनेवाली युवा पीढी के लिए चैतन्य का अमृत बरसता रहे। और आनेवाली पवित्र आत्माएँ इस समर्पण ध्यान के ज्ञान का अनुभव कर सकें, अनुभूति प्राप्त कर सकें। वे इच्छा करें तो आत्मसाक्षात्कार प्राप्त कर सकें। आनेवाली पीढियाँ इस परमचैतन्य की अनुभूति को प्राप्त कर सकेंगी और आनंदित होंगी।
पूज्य गुरुदेव
आध्यात्मिक सत्य
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