प्रकृति
"प्रकृति से अलग अस्तित्ववाला मनुष्य कमजोर मनुष्य होता है. इसलिए मनुष्य के विचारों के अनुसार मनुष्य के घर के उर्जास्थान कमजोर या शक्तिशाली बन जाते है. जिस प्रकार से मनुष्य साँस लेता है, वनस्पति साँस लेती है,ठीक उसी प्रकार से स्थान भी साँस लेता है. अगर स्थान को चारों ओर से लगातार अच्छी उर्जा प्राप्त हो जाती है तो वह स्थान संतुलित हो जाता है."
आप का
बाबा स्वामी
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