मृत्यु
मनुष्य की मृत्यु हो जाने के बाद, कहते है, उसकी आत्मा तीन दिनों तक इसी अंतराल में रहती है। और तीन दिनों के बाद वह अपनी गती को प्राप्त करती है। वह आत्मा अपनी शरीर की मृत्यु देखती है, उसका दहन संस्कार देखती है। उसके जाने के बाद उसके रीश्तेदार, उसके संबंधी, उसके मित्र कैसा शोक मानते है, वह सब अपने शरीर की मृत्यु के बाद देखती है।
ऐसा ही एक अनुभव मुझे अपने आश्रम में हुआ।
मैंने मेरी मृत्यु देखी, मृत शरीर देखा। शरीर मृत होने पर घटनेवाली घटना देखी। क्या घटना घटी और उसका वातावरण पर क्या पराभव हुआ, वह देखा। उस प्रभाव में, सारे वातावरण में जो साधक आए, उन पर हुआ प्रभाव देखा है। यह घटना एक संपूर्ण घटनाचक्र की एक कडीमात्र थी ।
मधुचैतन्य:जुलाई 2008./pg 2
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