विश्वचक्र अनष्ठान का आठवा दिन और समापन

आज विश्वचक्र अनुष्ठान का आठवा व अंन्तीम दिवस था। आज की विषेष
बात यह रही की श्री मंगल मुती् की उजाे से हिमालय स्थीत सुक्ष्म शरीर का अती सुक्ष्म रूप से संमन्ध स्थापीत
हो गया।
अब श्री मंगल मुतीे का सीधा सम्पके
ही  श्री गुरूशक्तीयो से स्थापीत हो जाने पर अब श्री मंगलमुती् के माध्यम
से अपनी प्राथेना सीधे ही श्री गुरूशक्तीयो से की जा सकती है।अब
तो श्री मंगल मुती् भी एक माध्यम हो गयी । जब सम्पके हुआ तो मैने भी एक प्राथेना की साधको इतने जन्मो के बाद एक ऐसा दिव्य शरीर मीला जो आत्म साक्षात्कार प्राप्त कर सके तो
भी आत्म साक्षात्कार का एहसास मेरे
साधको को क्यो नही होता है।।
श्री गुरूशक्तीयो ने एक कारण मुख्य
रूप से बताया “समस्या” से बाहर ही
नीकल पाना और नीयमीत ध्यान न करना । और साधको को इस स्थिती
मे से बाहर निकलने का एक आसान
मागे श्री गुरूशक्तीयो ने बताया है।वह
मागे मुझे भी आसान लगा।फीर भी इस मागे से सफलता तो “समपेण भाव” और संपुणे “विश्वास” पर ही
मीलना संभव है।फीर भी आपको बताने मे क्या हजे है। इसलीये यह
प्राथेना मागे आपको अवश्य 15 जनवरी को ट्स्टीयो से बात कर बताऊगॉ क्योकी इस मागे मे एक
विषेष व्यवस्था की आवश्यकता होगी
आप सभी को खुब खुब आशिेवाद
       आपका अपना
       बाबा स्वामी
समपेण आश्रम दांडी गुजरात
28/12/2018

आज का विश्वचक्र अनुष्टान सुबह 8
बजे से शाम  6 बजे तक चला था

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