मन बड़ा चंचल है | तो उसको हम कंट्रोल कर सकते हैं ?
प्रश्न 30 : गुरूजी, मन बड़ा चंचल है | तो उसको हम कंट्रोल कर सकते हैं ?
स्वामीजी : नहीं, चंचल भी है और मन अपने को सबसे ज्यादा दुखी करता है | कभी भी मन ना, सैटिस्फाई (तृप्त) आपको नहीं होने देगा आपके जीवन के अंदर | कभी भी अच्छी बात नहीं महसूस करने देगा | हर दफे आपके पास में क्या नहीं है, उसका हर दफे एहसास कराएगा | आपके पास में क्या है, उसका कभी भी मन एहसास नहीं कराता | और दूसरा, आपको कुछ, क्या बोलते हैं न, शांति मिलती है या जो कुछ... वो चित्त के द्वारा है | मन के द्वारा...मन सदैव हमको अशांत ही करते रहता है |
और चित्त और मन में अंतर है | मन से हमको विचार पैदा होते हैं और चित्त से हमको दृश्य दिखते हैं | कोई अपुन विझ्युअलाईज करते हैं न, कुछ देर दिख रहा है, वो मन से नहीं दिखता | वो चित्त से दिखता है | और दूसरा, मन दु:खी या सुखी होता है; चित्त दु:खी यह सुखी नहीं होता | हम बोलते हैं न - मैं बहुत खुश हो गया, तो मन खुश हो गया | मैं दु:खी हो गया, तो मेरा मन दु:खी हो गया | लेकिन चित्त दु:खी या मन... माने चित्त और ऊपर का स्टेज है | वो दु:खी या सुखी नहीं होता |
चैतन्य महोत्सव - 2016
मधुचैतन्य : जुलाई,अगस्त 2018
Comments
Post a Comment