विश्वचक्र अनुष्ठान का चौथा दिवस का अनुभव

आज का अनुभव यह रहा की परमचैतन्य के दो माध्यम यहॉ
निमाेण हो गये है।एक उपर है।
श्री मंगल मुतीे और नीचे है।श्री
गादीस्थान अब इन दोनो स्थानो
मे समरसता स्थापीत करने का
कठीण काये करना है।अब कैसे
होगा इस का मागे अभी तक तो
मीला नही है।
यह मेरे जिवन का अतीमहत्वपुणे
क्षण है। क्योकी इस काये का कोईऐ
अनुभव नही है।और यह भी पता है।
यह करते नही आयेगॉ अनायास ही
हो जायेगॉ पर कैसे वह पता नही अभी
तो केवल अपने आप इस प्रक्रीया मे
शामील कर आगे बढ रहा हु ।
दोनो स्थानो मे एक चुंबकीय शक्ती
नीमाणे हो गयी है।वह अपने पास ही
खींचकर रख रही है।घंन्टे बीत जा
रहे है। पर लगता है की एक क्षण ही
बीता है।आज का अनुष्ठान भी 8 बजे
प्रांरभ हुआ और 3 बजे बाद तक चला
है।पर लगा मानो अक क्षण बीता हो।
आप सभी को खुबखुब आशिेवाद ।
           आपका अपना

              बाबा स्वामी
समपेण आश्रम दांन्डी गुजरात
25/12/2018

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