सावधानियाँ....स्थूल शरीर के सान्निध्य में
प्रश्न 42 - स्वामीजी, आपने हमें समझाया कि आपके स्थूल शरीर पर चित्त ज्यादा आता है तो आपको तकलीफ होती है | तो हम कोशिश करेंगे कि आपके स्थूल शरीर पर हमारा चित्त कम आए, लेकिन हमने ऐसी कौनसी सावधानियाँ बरतनी चाहिए ताकि आपको कम-से-कम तकलीफ हो ?
स्वामीजी : पहले, मुझे ऐसा लगता है कि आपका चित्त मेरे स्थूल शरीर के ऊपर है कि सूक्ष्म शरीर के ऊपर, यह अंतर आपको समझ में आना चाहिए | वह समझ में आया तो फिर मेरी आगे की बात समझ में आएगी | पहला यह कि जब आपका चित्त मेरे ऊपर आ रहा है और आपके हाथ में अगर वाइब्रेशन्स फील (महसूस) हो रहे हैं और आप मेरे पास में नहीं बैठे हैं; और आपके हाथ से अगर वाइब्रेशन्स बह रहे हैं, तो इसका अर्थ - आपका चित्त उस सूक्ष्म शरीर के ऊपर है, उस ऊर्जा के ऊपर है | और यह स्थूल और सूक्ष्म का अंतर पहचानने का रास्ता है, यह मार्ग है | और दूसरा, स्थूल शरीर का आकर्षण अत्याधिक है, उसमें से चुंबकीय तरंगे निकलती है | वे इसलिए निकलती है क्योंकि जैसे-जैसे साधकों की संख्या बढ़ते जाएगी...और बढ़ रही है ना, अभी जैसे महाशिबीर बंद किए तो अभी वीडियो शिविर हो रहे हैं |
मधुचैतन्य : जुलाई,अगस्त,सितंबर-2009
चैतन्य धारा
Comments
Post a Comment