आभामंडल

88) कोई व्यक्ति की मृत्यु होने वाली रहती है, तो उसके अाभामंडल पर काली परछाई पड़ने लगती है |

89) आभामंडल आपका जीवनसाथी है जो अंधेरे में भी साथ नहीं छोड़ता है |

90) हिमालय में रात के समय भी कई सिद्धों के आभामंडल चंद्रमासमान चमकते हुए देखे जाते हैं |

91) आभामंडल जीवन का प्रतीक है | आभामंडल है याने मनुष्य जीवित है | हालाँकी, मृत्यु के 3 दिन बाद यह समाप्त हो जाता है |

इसीलिए हमारे यहाँ मरने के बाद 'तीसरा' करने का प्रचलन है |

92) सिद्धपुरुषों का आभामंडल मृत्यु के बाद भी शरीर के आसपास बना रहता है |

93) वह इसलिए बना रहता है कि सिद्ध महात्माओं का, मृत्यु के बाद 'सूक्ष्म शरीर' कार्यरत हो जाता है | सूक्ष्म शरीर से हमारा आशय उस कार्यशक्ति या साधना के शरीर से है जो साधना उन्होंने अपने जीवनकाल में की है | इसे उनकी शक्ति का शरीर भी कह सकते हैं | यह कभी नष्ट नहीं होता |

94) इस शक्ति के सूक्ष्म शरीर के कारण उनके समाधिस्थ शरीर के आसपास भी आभामंडल बना रहता है |

95) इसीलिए हमें समाधिस्थ सद्गुरु की समाधि के पास जाकर आत्मशांति मिलती है |

96) सद्गुरु के समाधिस्थ होने के बाद भी उस शरीर के माध्यम से उनकी शक्तियाँ आसपास के वातावरण को प्रभावित करती है |

97) इसलिए इनके शरीर का दाह-संस्कार नहीं करते हैं, बल्कि देह को जमीन में 'समाधि' दी जाती है |

98) याने संत-महात्मा मृत्यु के बाद भी शरीर से समाज में जनजागरण का कार्य करते रहते हैं |

अध्यात्मिक सत्य
18/03/2007, रविवार... पन्ना क्र. 103✍

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