अाभामंडल
77) जिस प्रकार से व्यक्ति का ऑरा होता है, ठीक इसी प्रकार से घर का, फैक्ट्री का, दुकान का, ऑफिस का भी आभामंडल होता है |
78) जिस प्रकार के व्यक्ति वहाँ रहते हैं, उसी प्रकार के अनुसार आभामंडल अच्छा या बुरा बनता है |
79) किसी अच्छे आभामंडल वाले स्थान पर कितना समय चला गया, पता भी नहीं चलता है |
80) खराब आभामंडल वाले स्थान पर समय जल्दी कटता भी नहीं है |
81) मनुष्य का समय अच्छा या बुरा नहीं होता, मनुष्य का आभामंडल अच्छा या बुरा होता है |
82) इसीलिए जीवन का अच्छा समय कब चला गया, पता भी नहीं चलता है |
83) बुरा समय मनुष्य को बड़ा भारी व बोझल लगता है |
84) आपके चित्त से आपका आभामंडल प्रभावित होता है और उसी अनुसार आपको विचार आएंगे | और जैसे विचार आएंगे, वैसा आभामंडल बनेगा |
85) इसलिए सदैव अपना चित्त पवित्र स्थान पर रखो तो वह अच्छा चैतन्य ग्रहण करेगा |
86) अच्छा चैतन्य ग्रहण करेगा तो आभामंडल भी अच्छा निर्माण होगा |
87) आभामंडल आपके विचारों का प्रतिबिंब है | आपका आभामंडल जानकर जाना जा सकता है, आप क्या विचार करते हैं ? और जैसे विचार करते हैं, वैसे ही आपके हाथ से कर्म होंगे | और जैसे कर्म होंगे, वैसा ही आपका भविष्य बनेगा |
क्रमश: ....
अध्यात्मिक सत्य
18/03/2007, रविवार... पन्ना क्र. 102✍
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