पिछले 800 सालों से जो आत्माएँ पुल को पार करेंगी ।

पिछले 800 सालों से जो आत्माएँ पुल
को पार करेंगी । सामुहिकता तेरी शक्त्ति
है । सामुहिकता तेरे जन्म का उद्देश्य है ।
तूँ अथाह सागर है । तूँ सागर ही बनेगा ।
हजारों छोटी-छोटी नदियाँ आकर एक
बड़े महासागर का निर्माण करती हैं ।मुझे
सब साफ-साफ दिखाई दे रहा है । मैं तब
नहीं रहूँगा , लेकिन आज मैं मेरी दिव्य दृष्टि
से सब देख रहा हूँ । मैं बहुत प्रसन्न हूँ कि
एक बड़े महासागर के निर्माण में मुझे भी
योगदान करने का अवसर मेरे गुरु ने दिया ।
मैं इसके लिए गुरु का आभारी हूँ ।

हि. का.स.योग 1
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