मूलाधार चक्र (आधार चक्र) का संबंध पृथ्वी से - २
मैं विदेशों में जाता हूँ तो आपको क्या लगता है, मैं किसी धर्म विशेष पे बात करता हूँ? नहीं। मैं मनुष्यता पे बात करता हूँ, वाइब्रेशन्स पे बात करता हूँ, ऑरा पे बात करता हूँ, एनर्जी पे बात करता हूँ। एक क्रिश्चन (क्रिश्चियन) पादरी के घर मैं रुका हुआ था। और वो भी बैठा हुआ था सोफे पे, मैं भी बैठा हुआ था। उसको मैंने पूछा, "हाथ ऐसे कर। हाथ में वाइब्रेशन्स आ रहे हैं।?" उसने कहा, "हाँ स्वामीजी। वाइब्रेशन्स आ रहे हैं।" "अब एक काम कर, अब जमीन पे नीचे बैठ। अब देख वाइब्रेशन्स आ रहे हैं क्या?" वो जमीन पे बैठा। बैठने की आदत नहीं थी अँग्रेज था, तो ऐसा आड़ा-तेड़ा होते हुए दो-चार आसन करके बैठा वो जमीन पे। बैठने के बाद में, "स्वामीजी, अब एकदम वाइब्रेशन्स बढ़ गए। जमीन पे बैठने से ज्यादा वाइब्रेशन्स आते हैं।" माने जो चीज बड़े ग्रंथ से नहीं समझ में आ सकती है ना, वो एक अनुभव से समझ में आ गयी उसको। दूसरे दिन थियोसोफिकल सोसायटी में लेक्चर था। सारे अँग्रेज सूट-बूट पहनके खुर्सी पे बैठे हुए थे, ये महाराज जमीन पे बैठे हुए थे। (Cont..)
समर्पण ग्रंथ - १४७
(समर्पण "शिर्डी" मोक्ष का द्वार है।) पृष्ठ:८५-८६
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