आभामंडल

54) किसी स्थान पर जाकर वहाँ के चैतन्य की जाँच करने की आवश्यकता नहीं | अपने विचारों पर ध्यान रखो तो उस स्थान की स्थिति ऐसे ही पता चल जाएगी |

55) गुरुशक्तियों के सानिध्य में तो विचार ही पूर्णत: बंद हो जाते हैं |

56) आत्मीय वातावरण होता है, हम भी अपनी आत्मा का आनंद प्राप्त करते हैं तो विचार कहाँ से आएंगे ? विचार तो शरीर के होते हैं |

57) एक 50% अच्छी स्थितिवाले आभामंडल का व्यक्ति अगर किसी 25% अच्छी स्थितिवाले, आभामंडलवाले व्यक्ति से मिलेगा तो वह अपनी उर्जा नष्ट करेगा |

58) इसीलिए सामूहिकता में रहना चाहिए | सामूहिकता में मिलना चाहिए |

59) किसी की भी समस्या में रस लेकर के सुनो मत | उसकी समस्या आपकी ऊर्जा नष्ट करेगी | इसी लिए समस्यावालों को 'प्रार्थनाधाम' का मार्ग बताओ |

60) 'प्रार्थनाधाम' 'अधिकृत' साधकों को लेकर बनाया गया है | समस्या के लिए प्रार्थनाधाम सर्वश्रेष्ठ उपाय है |

61) जीवन में जब गिरने का दौर चालू हो और आप लगातार गिर रहे हो तो उस समय चढ़ने के प्रयास मत करो |

62) अपने स्थान पर ही स्थिर हो जाओ |

63) क्योंकि चढ़ने की आपमें योग्यता होती तो गिरते ही क्यों ?

64) गिरने का आभामंडल समाप्त हुए बिना सफलता का सकारात्मक आभामंडल नहीं बन सकता | यह कटु सत्य है |

65) ऐसे समय ध्यान करो | अच्छी सामूहिकता में रहो | यह एकमात्र नेउपाय है |
क्रमश: ....

अध्यात्मिक सत्य
18/03/2007, रविवार... पन्ना क्र. 100✍

Comments

Popular posts from this blog

Subtle Body (Sukshma Sharir) of Sadguru Shree Shivkrupanand Swami

सहस्त्रार पर कुण्डलिनी