मध्यनाड़ी

"यानी हमारा चित अगर चन्द्रनाड़ी में है और हम भूतकाल के विचार करते हैं, तो हमारा परमात्मा से कोई संबंध नही है। क्योंकि परमात्मा से संपर्क करने के लिए हमे मध्यनाड़ी में रहना होगा। जो लीग सदैव चन्द्रनाड़ी में होते है, उनमे आत्मविस्वास की कमी पाई जाती है। दूसरा, वे सदैव नकारात्मक रूप से ही सोचते हैं। अब आप अपना ही स्वयं परीक्षण करो कि आप कौनसे विचार करते है।"

श्री शिवकृपानंद स्वामीजी,
हिमालय का समर्पण योग भाग - ६/२०४

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