दूर ही रहो और चैतन्य का आनंद लो
जय बाबा स्वामी
जो एक बार दूर हो गया वह वापस कभी नही आता । इससे अच्छा है "दूर ही रहो "और चैतन्य का आनंद लो। मैं आपके शरीर से भले ही दूर हूँ लेकिन आप आँख बंद करके देखो तो आप मुझे अपने "हृदय" में ही अनुभव करोगे । क्योकि अब मैं वही हूँ ।
आप सभीको खूब -खूब आशीर्वाद।
~सद्गुरु शिवकृपानंद स्वामीजी,
समर्पण ध्यान
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