वंदनिया गुरूमैया की जय
आज मैं इतने साल हिमालय में रह सका और इतना सद्गुरू का सान्निध्य पा सका; यह सब इसलिए हो सका क्योंकि एक स्त्री पत्नी के रूप में मेरे साथ खड़ी थी* और आज भी मैंने पत्नी को कहाँ , "तेरे लिए कुछ करने की मेरी इच्छा है क्योंकि तूने मेरे लिए जीवनभर किया है।
तो बोली , यही करो की समस्त स्त्री जाति के उत्थान के लिए कार्य करो , उन्हें पुरुषों के समकक्ष खड़ा करने में सहायता करो। मुझे जीवन में यह आपकी सहायता का अवसर मिला लेकिन प्रत्येक स्त्री को नहीं मिल सकता है। आप ही आध्यात्मिक प्रगति के लिए स्त्रियों की सहायता करो, एक बार वह शरीर के स्तर पर से उठ जाएगी तो आत्मिक स्तर पर तो सभी आत्मा ही है।
हिमालय का समर्पण योग ६/१६१
~ सद्गुरु श्री शिवकृपानंद स्वामीजी
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