मन
मन का वो भाव है जो शरीर से अधीक सुख प्राप्त करते है वह शरीर से दुख भी अधीक प्राप्त करते है घडी के पडुलम जैसी स्थीती है जो जीसे प्रेम अधीक करते है वह उसीसे गुस्सा भी अधीक करते है l
~आपका अपना, बाबा स्वामी
(परम पूजनीय सद्गुरु श्री शिवकृपाबन्द स्वामीजी)
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