ध्यान और विचार

पूजा करना आसान है सरल है क्योंकि पूजा करने के लिए मन को एकाग्र करने की आवश्यकता नही लेकिन अगर यही तुम ध्यान करने बैठे तो वह कठिन है क्योंकि ध्यान में तुमको एक विचार भी भूतकाल का आया तो तुमारा ध्यान भंग हो जाएगा ध्यान में एक विचार भी तुमको भविष्य का आया तो तुमारा ध्यान भंग हो जाएगा  ध्यान इतना सुक्ष्म है कि एक विचार से भंग हो सकता है l

~सद्गुरु श्री शिवकृपानंद स्वामीजी l
शिरडी महाशिबिर 2013 l

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